लहसुनिया रत्न पहनने के फायदे कुछ इस प्रकार है :-
लहसुनिया रत्न की ऊर्जा आपके चारों ओर एक सकारात्मक परत बना देगी जो की आपके लिए कवच की तरह काम करेगी। यह आपको बुरी आत्माओं जैसी नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाएगी। इसकी क्षमता आपको सभी नकारात्मक प्रभावों से दूर रखेगी।
लहसुनिया पहनने से आपकी आत्मज्ञान शक्तियां, अंतर्दृष्टि और वृत्ति बढ़ेगी। इससे पहनने वाले में आत्म-जागरूकता के साथ-साथ आसपास के वातावरण की सतर्कता भी बढ़ती है। यह पहनने वाले के निर्णय लेने के कौशल को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे उनका अंतर्ज्ञान उन्हें बेहतर मार्गदर्शन देता है। आपकी अंतरात्मा आपको सही रास्ते पर ले जाएगी। इससे आपको यह जानने में भी मदद मिलेगी कि आप क्या चाहते हैं और आपको क्या चाहिए, साथ ही आप क्या नियंत्रित कर सकते हैं। इससे आपको बेहतर और अधिक लाभकारी निर्णय लेने में मदद मिलेगी।
इस रत्न को धारण करने से आप अपने दिल और दिमाग का अनुसरण करते हुए, खुद को मानसिक रूप से अधिक स्पष्ट पाएंगे।
लहसुनिया धन, प्रचुरता और समृद्धि को भी आकर्षित करता है।
यदि आपको असफलता का डर है, तो यह रत्न आपको बाधाओं का सामना करने के लिए शक्ति प्रदान करेगा। साथ ही, लहसुनिया की शक्ति बाहरी समस्याओं को कम कर देगी।
लहसुनिया आपके आत्मविश्वास को बढ़ाएगा। इससे आपको सफलता पाने के अवसरों का लाभ उठाने में मदद मिलेगी।
यह रत्न आपके साहस और आत्मनिर्णय की शक्ति को भी बढ़ाएगा।
इस रत्न को धारण करने से आपके मन को शांति और भावनात्मक स्थिरता भी मिलेगी।
यह पत्थर आपको आध्यात्मिक रूप से बढ़ने में भी मदद करेगा | यह आपको ब्रह्मांड की उच्च शक्तियों से जुड़ने में मदद करेगा और आपको भगवान के सही मार्ग पर चलने को आपका मार्गदर्शन करेगा।
लहसुनिया रत्न के फायदे यहाँ तक ही सिमित नहीं है। इस रत्न में उपचार गुण भी होते हैं जैसे यह आंखों से संबंधित किसी भी समस्या का इलाज कर देगा, बेहतर पाचन में मदद करेगा और आपको शारीरिक रूप से स्वस्थ रखेगा। साथ ही, लहसुनिया का उपयोग गुर्दे, अग्न्याशय, यकृत को ठीक करने के लिए किया जाता है। इससे सिरदर्द में भी राहत मिलती है।
कैसे पहने लहसुनिया रत्न को
लहसुनिया रत्न को सोने या चांदी के धातु में जड़वाकर पहनना चाहिए। आप इसे अंघूटी, ब्रेसलेट या पेंडंट बनवाकर धारण कर सकते है। ध्यान रहे की रत्न को इस तरह पहने की रत्न का एक हिस्सा हमेशा आपके शरीर और त्वचा से अड़ा रहे ताकि उसकी ऊर्जा हमेशा आपके शरीर, और आत्मा से गुजरती रहे और आप पर अपने प्रभाव डालती रहे।
शुद्धिकरण: लहसुनिया पत्थर पहनने से पहले इसे शुद्ध करने की सलाह दी जाती है। अपने रत्न को दूध और पानी, शहद और घी के मिश्रण में कुछ घंटों के लिए रखें और फिर इसे गुनगुने पानी या गंगाजल से साफ कर लें।
विधि: शुद्धि के बाद नीचे बताए गए मंत्र का 108 बार जाप करें और जब आप इसे आखिरी बार जप रहे हों तब अपने रत्न को धारण कर लें।
इसे शनिवार के दिन धारण किया जाता है मध्यमा उंगली में। इसे सोने या चांदी या अष्टधातु के साथ पहना जाता है।
आप हमारे प्राचीन ज्ञान स्टोर से इसे अभी खरीदते है तो आपको बहुत ही कम और सस्ते दामों में प्राप्त होंगे।
यह रत्न हमारे गुरुजी द्वारा सिद्ध किया हुआ है। इसे किसी से सिद्ध कराने की जरूरत नहीं है
No feature found
No condition found
No return policy found